होली बुराई पर अच्छाई की जीत, वसंत ऋतु के आगमन और नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है, और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं

मुख्य कारण:
भक्त प्रहलाद और होलिका की

कथा:
सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ होलिका से जुड़ी है, जो असुर राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी. होलिका ने प्रहलाद को आग में जलाने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई.

वसंत ऋतु का आगमन:
होली वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो सर्दी के बाद खुशियों और नई शुरुआत का समय होता है.

नई शुरुआत:
होली को एक नई शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है, जहाँ लोग पुरानी बातों को भूलकर नए सिरे से शुरुआत करते हैं.
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी:
ब्रज में होली को राधा और कृष्ण के प्रेम की याद में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग रंग खेलकर और नाच-गाकर होली का आनंद लेते हैं.

शिव और पार्वती की कथा:
एक अन्य कथा के अनुसार, कामदेव ने शिव की तपस्या भंग की, जिससे शिव क्रोधित हो गए और कामदेव को भस्म कर दिया. बाद में, देवताओं ने शिव को पार्वती से विवाह के लिए राजी किया, और इस घटना को याद करते हुए होली मनाई जाती है.

अन्य मान्यताएं:-

होलिका दहन:
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और यह माना जाता है कि इस दिन नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं.

रंगों का खेल:
होली रंगों का त्योहार है, और लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं.

गुलाल:
होली में गुलाल का विशेष महत्व है, जो खुशी और उल्लास का प्रतीक है.

मिठाई:
होली में विशेष प्रकार की मिठाइयां जैसे गुझियां बनाई जाती हैं.

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