सीधी
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी सोशल मीडिया के उपाध्यक्ष पंकज सिंह ने भाजपा के नव निर्मित होने जा रहे जिला कार्यालय को लेकर कहा है कि वर्तमान में सीधी जिले में चिकित्सा सेवाओं के बुरे और फटेहाल स्थिति को ध्यान में रखते हुए क्या मेडिकल कॉलेज से ज्यादा जरुरी भाजपा कार्यालय है। सीधी जिले में लगातार मेडिकल कॉलेज कि मांग उठ रही है लेकिन अभी तक उसका कहीं अता पता नहीं है पर इन सब के उलट भाजपा जिला कार्यालय बनने को तैयार है।
सीधी में भाजपा कार्यालय अब इतना हाईटेक बनेगा कि लगेगा कोई अंतरिक्ष यान उतरने वाला है। जनता सोच रही है कि क्या इसी हाईटेक इमारत से कभी एक डॉक्टर, एक स्ट्रेचर या एक इंजेक्शन भी निकलेगा ?अस्पताल के छज्जे गिर जाएं तो चल जाएगा, लेकिन पार्टी ऑफिस की छत में अगर एक भी दरार आ गई तो आपातकाल घोषित हो सकता है। जिस ज़िला अस्पताल से जनता की साँसें जुड़ी हैं, वहीं अस्पताल अब मात्र अपनी चुनिंदा सांसे गिन रहा है।
पंकज सिंह ने कहा कि फिर से कोरोना के वापसी की खबरें आने लगी हैं और जिलेभर की चिकित्सा सेवाओं की हालत बेहद बुरी है। जिला अस्पताल में सिविल सर्जन और सीएमएचओ और सिविल सर्जन के पद पर खरे दाम्पति का इन दिनों कब्जा है जिसको यहां के सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों और नेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कहीं भी ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा कि एक ही डाक्टर दंपति के हाथ में शासन के बेहद संवेदनशील चिकित्सा विभाग की पूरी कमान सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन के रूप में सौंप दी जाए, ऐसा सिर्फ राजनीतिक संरक्षण और अन्य विभिन्न लाभों के चलते ही सत्ताधारियों के इशारे पर संभव हो पता है।
पंकज सिंह ने कहा कि सीधी जिला अस्पताल सीधीवासियों के लिए लाइफ लाइन है। मगर विगत दशकों से रेफर अस्पताल के नाम तब्दील हो गया। काश चिकित्सा व्यवस्था चिकित्सा माफिया के चंगुल से आजाद हो जाता। मगर साहब इस देश में चिकित्सा इतना बड़ा व्यापार हो गया है कि लोगों के घर आत्मा विक्री और गिरवी हो जा रहे हैं।
आप जिस “अस्पताल चौराहे” में भाजपा कार्यालय के हाईटेक भवन के निर्माण की बात कर रहे हैं, उस चौराहे का नाम वहाँ उपस्थित “ज़िला अस्पताल” की वजह से है, और कुछ दिनों पहले ही उसी अस्पताल के मेन गेट का छज्जा अपने आप भरभरा के गिर गया था।
पंकज ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में दशकों से भाजपा सरकार है, तो क्या सीधी में स्वास्थ्य सुविधा के लिए अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज,शिक्षा के लिए कोई ऐसा हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी सोचा जा सकता है ? या ज़िंदगी भर हमें अति पिछड़े ज़िले वाली कैटेगरी में ही रहना है? एक तरफ़ सरकारी भवनों के ये हालात और दूसरी तरफ़ भाजपा के हाईटेक कार्यालय का प्रोजेक्ट। अब जनता को सोचना है कि ये कैसा दोहरा मापदंड है।