कोरबा तहसीलदार और पटवारी गिरफ्तार: सरकारी ज़मीन घोटाले में प्रशासन में मचा हड़कंप

सतेन्द्र गुप्ता मनेंद्रगढ़

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर— देर शाम एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई ने कोरबा जिले के राजस्व विभाग में हड़कंप मचा दिया है। जनकपुर थाना पुलिस ने वर्ष 2021 में दर्ज एक गंभीर धोखाधड़ी के मामले में वर्तमान कोरबा तहसीलदार सत्यपाल रॉय को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, इसी मामले में पटवारी आशीष सिंह को भी हिरासत में लिया गया है।

जानकारी के अनुसार, तहसीलदार सत्यपाल रॉय उस वक्त जनकपुर क्षेत्र में पदस्थ थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक गुरुग्राम बहरासी निवासी की शिकायत के बावजूद सरकारी जमीन को अवैध रूप से निजी स्वामित्व में दर्शाकर उसकी बिक्री कर दी थी। बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े में पटवारी आशीष सिंह की भी भूमिका सामने आई है, जो वर्तमान में मनेंद्रगढ़ ब्लॉक में पदस्थ थे।

जनकपुर पुलिस ने की दबिश, तहसील में मचा हड़कंप
बुधवार को जैसे ही जनकपुर थाना पुलिस कोरबा तहसील पहुंची, वहां मौजूद कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने पूछताछ के बाद तहसीलदार सत्यपाल रॉय को अपनी हिरासत में ले लिया और देर शाम तक चली कानूनी औपचारिकताओं के बाद उन्हें मनेंद्रगढ़ न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।

धारा 420, 468, 471 के तहत मामला दर्ज
थाना प्रभारी विवेक पाटेले ने बताया कि शिकायत के अनुसार आरोपी तहसीलदार और पटवारी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी जमीन की बिक्री कर दी थी। पुलिस ने प्राथमिक जांच के आधार पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (कूटरचना) और 471 (जालसाजी के दस्तावेज का प्रयोग) के तहत अपराध दर्ज किया है।

पहले ही गिरफ्तार हो चुका है एक अन्य आरोपी
इस घोटाले में पुलिस पहले ही एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसे गुरुवार को जेल भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि मामले में अन्य आरोपियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है और कुछ और नाम भी सामने आ सकते हैं।

प्रशासन में मचा हड़कंप, संवेदनशील मानी जा रही है कार्रवाई
राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच इस कार्रवाई से भारी तनाव देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह मामला अब राज्य स्तर तक पहुंच सकता है और कई अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की संभावना जताई जा रही है।

सरकारी ज़मीनों को लेकर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों ने पहले भी राज्य प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। लेकिन इस बार तहसीलदार और पटवारी जैसे ज़िम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो गया है कि कानून का शिकंजा अब धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से कसता जा रहा है।

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