महान साधक रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन

“आज के दिन, हम महान साधक स्वामी विवेकानंद जी और उनके गुरुजी रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती मनाते हैं।

स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन को मानवता की सेवा और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित किया। उनके विचारों और शिक्षाओं ने पूरे विश्व में लोगों को प्रेरित किया।

रामकृष्ण परमहंस जी ने स्वामी विवेकानंद जी को आध्यात्मिक ज्ञान की दीक्षा दी और उन्हें एक महान साधक बनाया। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

आज के दिन, हम इन दोनों महान आत्माओं को उनके योगदान और बलिदान के लिए शत-शत नमन करते हैं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती है और हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान और मानवता की सेवा के लिए प्रोत्साहित करती है।

स्वामी विवेकानंद जी और रामकृष्ण परमहंस जी की जयंती पर, हम उनके विचारों और शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और मानवता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
रामकृष्ण परमहंस जी का जीवनीय
रामकृष्ण परमहंस जी का जन्म १८ फरवरी १८३६ को बंगाल के कामारपुकुर में हुआ था। उनका बचपन का नाम गदाधर चटर्जी था। उनके पिता खुदीराम चटर्जी और माता चंद्रमणि देवी थीं।

रामकृष्ण परमहंस जी का बचपन से ही आध्यात्मिक झुकाव था। वे बचपन में ही पूजा-पाठ और ध्यान में रुचि लेते थे। जब वे किशोरावस्था में पहुंचे, तो उन्होंने अपने गाँव के मंदिर में पूजा करना शुरू किया।

१८५५ में, रामकृष्ण परमहंस जी को दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया। यहाँ पर उन्होंने माँ काली की पूजा की और ध्यान में लीन हुए। इस दौरान, उन्होंने कई आध्यात्मिक अनुभव किए और अपने जीवन को आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित किया।

रामकृष्ण परमहंस जी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें स्वामी विवेकानंद जी जैसे एक महान शिष्य मिले। स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण परमहंस जी से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया और उनके विचारों को पूरे विश्व में प्रसारित किया।

रामकृष्ण परमहंस जी का निधन १६ अगस्त १८८६ को हुआ था। लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है और लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती है।

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